ये इश्क अक्सर मुकाम-ए-जिल्लत पे ले जाता है।!



साहिब.. इज्जत हो तो इश्क़ जरा सोच कर करना,
ये इश्क अक्सर मुकाम-ए-जिल्लत पे ले जाता है।